छतरपुर जिले का सबसे सुंदर अंग्रेजों द्वारा बसाया गया नौगांव नगर अब 175
साल का हो गया है। आज गुरुवार सुबह 11 बजे नगर के जीटीसी ग्राउंड पर अनेक
कार्यक्रम आयोजित करके धूमधाम से स्थापना दिवस मनाया जाएगा। स्थापना दिवस
के मौके पर सांस्कृतिक एवं अन्य कार्यक्रमों के जरिए नगर की स्थापना से
लेकर आज तक के गौरवशाली इतिहास को प्रस्तुत किया जाएगा। कार्यक्रम में
दिल्ली, मुंबई, ग्वालियर, रायपुर, गुजरात, हैदराबाद आदि शहरों में बसे
नगरवासी भी शामिल होकर अपने शहर के गौरवशाली कार्यक्रम के गवाह बनेंगे।
नगर के इतिहासकार दिनेश सेन ने बताया कि नौगांव नगर की स्थापना 1842 में अंग्रेजी हुकूमत के मिस्टर डब्ल्यू एस सिलीमेन ने एक बिग्रेड सेना के सैनिकों के ठहरने के लिए नौगांव छावनी के नाम से की गई है। देशी 36 रियासतों के बीच में होने के कारण अंग्रेजी अफसरों ने इस जगह सबसे पहले नगर का नाम नौगांव छावनी पड़ा। सन 1842 में अंग्रेजी हुकूमत के सिलीमेन अधिकारी ने जैतपुर बेलाताल की रियासत में नयागांव दूल्हा बाबा मैदान और जैतपुर बेलाताल की ओर आक्रमण कर दिया जिसमें महाराज पारीक्षत पराजित हो गए तथा अंग्रेजों की हुकूमत बेलाताल तक हो गई। इस तरह से अब अंग्रेजी हुकूमत 36 रियासतों तक फ़ैल गई।
इन सभी रियासतों को कंट्रोल करने एवं उनसे लगान वसूलने के लिए नौगांव छावनी की स्थापना की गई थी। जिसके लिए ब्रिटिश हुकूमत ने छतरपुर के तत्कालीन महाराज प्रताप सिंह से 19 हजार वार्षिक किराए पर नौगांव में कुछ जमीन ली थी।
इस जमीन पर अंग्रेजी अफसर डब्ल्यू एस सिलीमेन ने सन 1842 से सन 1861 तक सेना की एक टुकड़ी को इसी जमीन पर तम्बू तानकर रखा। इसके बाद इसी जमीन पर अंग्रेजी अफसरों ने नौगांव छावनी का पहला भवन निर्मित कराया। इसी भवन में अंग्रेजी हुकूमत के समय 36 देशी रियासतों पर प्रभावी नियंत्रण बनाये रखने के लिए अंग्रेजी सरकार का पोलिटिकल एजेंट रहता था। जहां 36 रियासतों के राजा पॉलिटिकल एजेंट से मिलने एवं लगान चुकाने के लिए आते थे।
175 वर्ष में क्या खोया, क्या पाया, नौगांव की जुबानी
मैं नौगांव अपनी दुर्दशा एवं उपेक्षा पर स्वयं आंसू बहा रहा हूं। आजादी के पहले मेरा स्वर्णिम समय चल रहा था, आजादी के बाद भी कुछ समय अच्छा रहा। आज से करीब 175 वर्ष पहले मैं एक मैदान के रूप में खाली था, उसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने मुझे नौगांव छावनी का रूप दिया । बाद में मुझे 36 रियासत पर कंट्रोल करने के लिए प्रयोग किया । उसके बाद जब मुझे विंध्य प्रदेश की राजधानी बनाया गया, जब मेरा स्वर्णिम समय था, पहले मुख्यमंत्री कामता प्रसाद सक्सेना का कार्यालय यहीं था। इसके बाद मध्य प्रदेश के गठन के बाद मेरा बुरा दौर शुरू हुआ,यहां से कई आफिस छतरपुर , सागर, सतना और भोपाल चले गए, मैं देखते देखते वीरान हो गया। राजधानी से मैं महज तहसील बन कर रह गया। इन 175 वर्षों में मैंने खोया बहुत कुछ है, लेकिन पाया कुछ नहीं है। आज मेरी स्थिति ऐसी है की स्वच्छता के मामले में प्रदेश में मेरा नंबर 78 वां हैं। कभी मैं स्मार्ट सिटी की श्रेणी में आता था लेकिन आज गंदगी से पटा पड़ा हूं।
अंग्रेजों के जुल्मों सिलम
का गवाह है नौगांव
नगर के 88 वर्षीय नाथूराम सेन बताते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के अफसर बड़े ही जालिम थे। उस समय वह जेल में सप्लाई का काम करते थे, गलती करने पर तत्काल सजा का प्रावधान रखा जाता था। पॉलिटेक्निक कॉलेज में स्थित जेल में गलती करने वाले अपराधी को फांसी घर में लटकाया जाता था। थोड़ी सी गलती पर जेल के अंदर बनी काल कोठरी मे डाल दिया जाता था।
विंध्य प्रदेश के गठन के बाद 15 अगस्त 1947 से 11 अप्रैल 1948 तक नौगांव प्रदेश की राजधानी रहा। जिसमें आज के आदर्श प्राइमरी स्कूल में विधानसभा का सचिवालय हुआ करता था। इसी तरह सिंचाई विभाग का मुखालय और चीफ कंज्वेटर फाॅरेस्ट के भवनों में आज सिविल अस्पताल संचालित हो रहा है। टीबी अस्पताल में सर्जन आफिस संचालित होता था। एडीजे कोर्ट परिसर में हाईकोर्ट और सेसन कोर्ट का संचालन होता था। वर्तमान के सेल्स टैक्स कार्यालय में आर टीओ मुख्यालय, कैनाल कोठी में डीआईजी निवास एवं कार्यालय, वर्तमान बस स्टैंड में सेकेट्री आवास सहित सभी कार्यालय नौगांव में संचालित होते थे। नगर के पहले भवन जिसमें कमिश्नरी कार्यालय संचालित होता था, उसका निर्माण 1861 में अंग्रेजी सरकार के अफसर मिस्टर डब्ल्यू एस सिलीमेन ने कराया था। इसके अलावा आर्मी कॉलेज रोड पर सेंट पीटर रोमन कैथोलिक चर्च का निर्माण 1869 में , सिटी चर्च 1905,सर्किट हाऊस का निर्माण 1905, नौगांव क्लब, भड़ार पुल, बड़ा पुल, टीबी अस्पताल भवन सहित अनेक इमारतें अंग्रेजी हुकूमत के समय बनी थी, जिसका प्रयोग आज भी नगरवासी बड़े ही अच्छे तरीके से कर रहे हैं।
विंध्य प्रदेश की राजधानी रहा नौगांव
नौगांव। ब्रिटिश शासन की जेल, वर्तमान में पॉलीटैक्निक कॉलेज की कर्मशाला बन गई। ब्रिटिश शासन की चर्च, जहां अंग्रेज शासक करते थे आराधना।
नगर के इतिहासकार दिनेश सेन ने बताया कि नौगांव नगर की स्थापना 1842 में अंग्रेजी हुकूमत के मिस्टर डब्ल्यू एस सिलीमेन ने एक बिग्रेड सेना के सैनिकों के ठहरने के लिए नौगांव छावनी के नाम से की गई है। देशी 36 रियासतों के बीच में होने के कारण अंग्रेजी अफसरों ने इस जगह सबसे पहले नगर का नाम नौगांव छावनी पड़ा। सन 1842 में अंग्रेजी हुकूमत के सिलीमेन अधिकारी ने जैतपुर बेलाताल की रियासत में नयागांव दूल्हा बाबा मैदान और जैतपुर बेलाताल की ओर आक्रमण कर दिया जिसमें महाराज पारीक्षत पराजित हो गए तथा अंग्रेजों की हुकूमत बेलाताल तक हो गई। इस तरह से अब अंग्रेजी हुकूमत 36 रियासतों तक फ़ैल गई।
इन सभी रियासतों को कंट्रोल करने एवं उनसे लगान वसूलने के लिए नौगांव छावनी की स्थापना की गई थी। जिसके लिए ब्रिटिश हुकूमत ने छतरपुर के तत्कालीन महाराज प्रताप सिंह से 19 हजार वार्षिक किराए पर नौगांव में कुछ जमीन ली थी।
इस जमीन पर अंग्रेजी अफसर डब्ल्यू एस सिलीमेन ने सन 1842 से सन 1861 तक सेना की एक टुकड़ी को इसी जमीन पर तम्बू तानकर रखा। इसके बाद इसी जमीन पर अंग्रेजी अफसरों ने नौगांव छावनी का पहला भवन निर्मित कराया। इसी भवन में अंग्रेजी हुकूमत के समय 36 देशी रियासतों पर प्रभावी नियंत्रण बनाये रखने के लिए अंग्रेजी सरकार का पोलिटिकल एजेंट रहता था। जहां 36 रियासतों के राजा पॉलिटिकल एजेंट से मिलने एवं लगान चुकाने के लिए आते थे।
175 वर्ष में क्या खोया, क्या पाया, नौगांव की जुबानी
मैं नौगांव अपनी दुर्दशा एवं उपेक्षा पर स्वयं आंसू बहा रहा हूं। आजादी के पहले मेरा स्वर्णिम समय चल रहा था, आजादी के बाद भी कुछ समय अच्छा रहा। आज से करीब 175 वर्ष पहले मैं एक मैदान के रूप में खाली था, उसके बाद अंग्रेजी हुकूमत ने मुझे नौगांव छावनी का रूप दिया । बाद में मुझे 36 रियासत पर कंट्रोल करने के लिए प्रयोग किया । उसके बाद जब मुझे विंध्य प्रदेश की राजधानी बनाया गया, जब मेरा स्वर्णिम समय था, पहले मुख्यमंत्री कामता प्रसाद सक्सेना का कार्यालय यहीं था। इसके बाद मध्य प्रदेश के गठन के बाद मेरा बुरा दौर शुरू हुआ,यहां से कई आफिस छतरपुर , सागर, सतना और भोपाल चले गए, मैं देखते देखते वीरान हो गया। राजधानी से मैं महज तहसील बन कर रह गया। इन 175 वर्षों में मैंने खोया बहुत कुछ है, लेकिन पाया कुछ नहीं है। आज मेरी स्थिति ऐसी है की स्वच्छता के मामले में प्रदेश में मेरा नंबर 78 वां हैं। कभी मैं स्मार्ट सिटी की श्रेणी में आता था लेकिन आज गंदगी से पटा पड़ा हूं।
अंग्रेजों के जुल्मों सिलम
का गवाह है नौगांव
नगर के 88 वर्षीय नाथूराम सेन बताते हैं कि अंग्रेजी हुकूमत के अफसर बड़े ही जालिम थे। उस समय वह जेल में सप्लाई का काम करते थे, गलती करने पर तत्काल सजा का प्रावधान रखा जाता था। पॉलिटेक्निक कॉलेज में स्थित जेल में गलती करने वाले अपराधी को फांसी घर में लटकाया जाता था। थोड़ी सी गलती पर जेल के अंदर बनी काल कोठरी मे डाल दिया जाता था।
विंध्य प्रदेश के गठन के बाद 15 अगस्त 1947 से 11 अप्रैल 1948 तक नौगांव प्रदेश की राजधानी रहा। जिसमें आज के आदर्श प्राइमरी स्कूल में विधानसभा का सचिवालय हुआ करता था। इसी तरह सिंचाई विभाग का मुखालय और चीफ कंज्वेटर फाॅरेस्ट के भवनों में आज सिविल अस्पताल संचालित हो रहा है। टीबी अस्पताल में सर्जन आफिस संचालित होता था। एडीजे कोर्ट परिसर में हाईकोर्ट और सेसन कोर्ट का संचालन होता था। वर्तमान के सेल्स टैक्स कार्यालय में आर टीओ मुख्यालय, कैनाल कोठी में डीआईजी निवास एवं कार्यालय, वर्तमान बस स्टैंड में सेकेट्री आवास सहित सभी कार्यालय नौगांव में संचालित होते थे। नगर के पहले भवन जिसमें कमिश्नरी कार्यालय संचालित होता था, उसका निर्माण 1861 में अंग्रेजी सरकार के अफसर मिस्टर डब्ल्यू एस सिलीमेन ने कराया था। इसके अलावा आर्मी कॉलेज रोड पर सेंट पीटर रोमन कैथोलिक चर्च का निर्माण 1869 में , सिटी चर्च 1905,सर्किट हाऊस का निर्माण 1905, नौगांव क्लब, भड़ार पुल, बड़ा पुल, टीबी अस्पताल भवन सहित अनेक इमारतें अंग्रेजी हुकूमत के समय बनी थी, जिसका प्रयोग आज भी नगरवासी बड़े ही अच्छे तरीके से कर रहे हैं।
विंध्य प्रदेश की राजधानी रहा नौगांव
नौगांव। ब्रिटिश शासन की जेल, वर्तमान में पॉलीटैक्निक कॉलेज की कर्मशाला बन गई। ब्रिटिश शासन की चर्च, जहां अंग्रेज शासक करते थे आराधना।
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